पशुपालक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम बेरोजगार युवाओं, महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से आजीविका संसाधन (स्वरोजगार/रोजगार/उद्यमिता) प्रदान करने का मिशन है। इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित युवा/महिलाएं ग्राम पंचायत/ब्लॉक स्तर पर पशुओं को *सूक्ष्म पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करेंगी और पशुपालन के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन में सक्रिय भागीदारी भी लेंगी।
भारतीय पशु चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1984 की धारा 30 के खंड (बी) के प्रावधान के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राज्य सरकार एतद्द्वारा निम्नलिखित प्रारंभिक पशु चिकित्सा सहायता को "लघु पशु चिकित्सा सेवा" के रूप में निर्दिष्ट करती है। उक्त खंड; अर्थात्:-
1. जानवरों का तापमान लेने के लिए
2. प्रारंभिक पशु चिकित्सा सहायता प्रदान करना और बुखार और दर्द के मामले में एनाल्जेसिक और ज्वरनाशक देना
3. कृत्रिम गर्भाधान करने के लिए
4. पशुओं का टीकाकरण करना
5. घावों की ड्रेसिंग
6. नर पशु का बधियाकरण द्वारा बधिया करना
7. नमूनों का संग्रह
8. पशुओं में एक्टोपैरासाइट्स के नियंत्रण के लिए छिड़काव
वर्ष 2009 में निगम ने "एक ग्राम पंचायत एक रोजगार अभियान" शुरू किया। 2009 से निगम द्धारा पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में 6000 से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है। अधिक गुणात्मक प्रशिक्षण के लिए निगम द्धारा वर्ष मई 2018 में भारतीय कृषि कौशल परिषद (ASCI) से पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता के लिए अनुमति (Fee Based Scheme) एवं संबद्धता प्राप्त हुई थी। वर्ष 2019 में भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड ने RSLDC (राजस्थान सरकार) के साथ पैरावेट सह कृत्रिम गर्भाधान जॉब रोल में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं।